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जनतंत्र का अधबीच

AjayShrivastava's blogs
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जनतंत्र का अधबीच
शौक है आपका पर खबरदार मंत्री जी की नियर को डियर कहा. वो नाराज है क्योंकि नेत्री भी कभी अभिनेत्री थी. देश कोचीन ने चूना लगाकर पान खिलाया क्योंकि आपने चाउऊ को झूला झुलाया. गुलकंद-चेरी वो खुद चाट गया, कत्था-लौंगआपको बांट गया. बात कोई नहीं है हम दूसरे गुट में  मिल जाएंगे, फटे के चीरे सिल जाएंगे. नापाक पड़ोसी  की नापाकहरकतें, हमारी दोस्ती पर खाक हरकतें, होगई अब सब राख हरकतें. कश्मीर में जवान लड़ रहा है, उसका भी सब्र तीरेपर चढ़ रहा है, आतंकवाद क्यों बढ़ रहा है? वैसे आतंक जगहों के हिसाब से बंटा है  पूर्वांचल, मध्य और उत्तर में भीछंटा है. कहीं नक्सल, माओ का आतंक है, कहीं रणवीर सेना का नाम नि:शंक है. बहें कहीं भी खून अपना ही है. इसेरोकना अभी सपना ही है. सावधान, महिला ने मंत्री को किस किया, लोगों ने सीन को मिस किया. सामना है सबकाइसलिए गाल पर है, नेताजी की नजर भी माल पर है. आपको इस बात इसे जलन क्यों है? आपके पास बातों से बहलनेवाला मन क्यों है? बात मन की हो या तन की, लोगों को परिणाम चाहिए, सरकार करे दिखना वो काम चाहिए. फ्यूलके दाम, सिरदर्द लोगों का है, सावधान बरसात मौसम रोगों का है. मुझे तसल्ली है महंगाई से पीडि़त मैं ही नहीं हूं, तुमभी हो बांके. कितने जाने कितने आलम सुकूंन की आस में झांके….खबरदार खबर लाया है….मिटाने को गम रबर लायाहै….खबर है भारत में  विदेशी निवेश को लेकर जंग जारी है, घरेलु उद्योग बंद, बेरोजगारों की हालत भारी है…रोजगारविदेशी पैदा करेंगे, हम उन पर निर्भर हो जाएंगे, उन्होंने हाथ खींचा तो मर जाएंगे….वो ब्लैक मेल करेंगे, हम डरेंगे-हमडरेंगे….लोग चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहते हैं पर विकल्प कहां है, देश अभी बालपन में, नहीं जवां है….आमको आम की तरह चूस लो, किसने कोसा है… हर  प्यारे मंत्री को महिला कार्यकर्ता का बोसा है…योग योग है स्वास्थ्य कीगारंटी है- गरीब, भूखे,कुपोषितों की बज रही घंटी है, योग से भूख कम हो तो बात है….कुछ जगह केवल रात है…स्वास्थ्य वो बनाएं जिनके मस्त शरीर है, कुपोषित पोषण आहार को अधीर हैं…..बात करते जनतंत्र की, जन और तंत्रमें भेद है, इस बात का शुरू से ही खेद है…. एक आम जन तंत्र की वजह से मर गया…..तिरंगे का मन दर्द से भरगया….जन मरकर स्वर्ग को जाने लगा, ऊपर वाले का मन घबराने लगा…. उसे बीच में रोक दिया, वो त्रिशंकु बन गया,फलक पर आसमां सा तन गया…. वो बोला- यहां न ऊंच न नीच है, न सुशासन का जल, न भ्रष्टाचार का कीच है,  शायदयही जनतंत्र का अधबीच है….शायद यही जनतंत्र का अधबीच है…..
Where are gooddays?
Where are gooddays?

शौक है आपका पर खबरदार मंत्री जी की नियर को डियर कहा. वो नाराज है क्योंकि नेत्री भी कभी अभिनेत्री थी. देश कोचीन ने चूना लगाकर पान खिलाया क्योंकि आपने चाउऊ को झूला झुलाया. गुलकंद-चेरी वो खुद चाट गया, कत्था-लौंगआपको बांट गया. बात कोई नहीं है हम दूसरे गुट में  मिल जाएंगे, फटे के चीरे सिल जाएंगे. नापाक पड़ोसी  की नापाकहरकतें, हमारी दोस्ती पर खाक हरकतें, होगई अब सब राख हरकतें. कश्मीर में जवान लड़ रहा है, उसका भी सब्र तीरेपर चढ़ रहा है, आतंकवाद क्यों बढ़ रहा है? वैसे आतंक जगहों के हिसाब से बंटा है  पूर्वांचल, मध्य और उत्तर में भीछंटा है. कहीं नक्सल, माओ का आतंक है, कहीं रणवीर सेना का नाम नि:शंक है. बहें कहीं भी खून अपना ही है. इसेरोकना अभी सपना ही है. सावधान, महिला ने मंत्री को किस किया, लोगों ने सीन को मिस किया. सामना है सबकाइसलिए गाल पर है, नेताजी की नजर भी माल पर है. आपको इस बात इसे जलन क्यों है? आपके पास बातों से बहलनेवाला मन क्यों है? बात मन की हो या तन की, लोगों को परिणाम चाहिए, सरकार करे दिखना वो काम चाहिए. फ्यूलके दाम, सिरदर्द लोगों का है, सावधान बरसात मौसम रोगों का है. मुझे तसल्ली है महंगाई से पीडि़त मैं ही नहीं हूं, तुमभी हो बांके. कितने जाने कितने आलम सुकूंन की आस में झांके….खबरदार खबर लाया है….मिटाने को गम रबर लायाहै….खबर है भारत में  विदेशी निवेश को लेकर जंग जारी है, घरेलु उद्योग बंद, बेरोजगारों की हालत भारी है…रोजगारविदेशी पैदा करेंगे, हम उन पर निर्भर हो जाएंगे, उन्होंने हाथ खींचा तो मर जाएंगे….वो ब्लैक मेल करेंगे, हम डरेंगे-हमडरेंगे….लोग चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहते हैं पर विकल्प कहां है, देश अभी बालपन में, नहीं जवां है….आमको आम की तरह चूस लो, किसने कोसा है… हर  प्यारे मंत्री को महिला कार्यकर्ता का बोसा है…योग योग है स्वास्थ्य कीगारंटी है- गरीब, भूखे,कुपोषितों की बज रही घंटी है, योग से भूख कम हो तो बात है….कुछ जगह केवल रात है…स्वास्थ्य वो बनाएं जिनके मस्त शरीर है, कुपोषित पोषण आहार को अधीर हैं…..बात करते जनतंत्र की, जन और तंत्रमें भेद है, इस बात का शुरू से ही खेद है…. एक आम जन तंत्र की वजह से मर गया…..तिरंगे का मन दर्द से भरगया….जन मरकर स्वर्ग को जाने लगा, ऊपर वाले का मन घबराने लगा…. उसे बीच में रोक दिया, वो त्रिशंकु बन गया,फलक पर आसमां सा तन गया…. वो बोला- यहां न ऊंच न नीच है, न सुशासन का जल, न भ्रष्टाचार का कीच है,  शायदयही जनतंत्र का अधबीच है….शायद यही जनतंत्र का अधबीच है…..

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