पूनम शाह को उसकी सास कांता बेन ने गरबे में देखा था। सुंदर सुशील पूनम को देख कांता बेन ने अपने बड़े लड़के जिग्रेश का विवाह उससे करवा दिया। पूनम ससुराल में आई। चौडिय़ा परिवार की वो बड़ी बहू थी। चौडिय़ा परिवार एक संयुक्त परिवार था। पूनम के ससुर डालचंद और उनके भाई सुरेश भाई का परिवार एक ही छत के नीचे रहता था। पूनम के परिवार में उसका पति जिग्रेश और ननद तृप्ति थी। उसके चाचा ससुरके परिवार में उसकी दो ननदें शिखा और निशा के साथ ही एक देवर था हेतल। शादी के बाद पूनम ने देखा कि जिग्रेश का रुझान उसकी ओर नहीं था। उसका रुझान उसकी बहन शिल्पी की ओर था, जिसे वो रोज ही कॉलेज झोडऩे पहुच जाता था चूंकी शिल्पी का कॉलेज जिग्रेश के ऑफिस के पास ही था। वो किसी से कुछ न बोली पर मन ही मन घुटने लगी। इसी घुटन में हेतल जो उसकी उम्र का था ताजी हवा के झोंके की तरह आया। वो अक्सर उसका ध्यान बंटाने के लिए उससे मजाक करता था। एक दिन वो उससे ये बोल ही गया कि तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट बहुत अच्छी लगती है और इसके लिए मैं कोई भी कीमत चुका सकता हूं। तुम्हारे पाव की पायल और चूडिय़ों की छनक इतनी मधुर है तो तुम्हारी सुंदरता तो स्वर्गीय हुई। कहीं तुम कोई अप्सरा या परी तो नहीं?
पूनम बात को देवर का मजाक समझ टाल देती। एक दिन पूनम का हाथ सब्जी काटते-काटते कट गया। परिवार में किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया। शाम को पूनम ने ये बात जिग्रेश से कही तो वो लापरवाही में बोला, ऐसा अक्सर हो जाता है। फिर वो दोस्तों के साथ शहर के बाहर स्थित अपने फार्म हाउस पर चला गया। पूनम अपने कमरे में बैठी अकेले रो रही थी। पूरा परिवार हॉल में था। इतने में हेतल वहां से निकला। पूनम को रोता देख वो पास आया जख्म देखकर वो दवाई लेने कमरे में गया। दवाई लाया और पूनम की मल्हम पट्टी की। पूनम की आंखों में आंसू देख वो बोला, तुम्हारी आंखों में आंसू अच्छे नहीं लगते। होंठो पर मुस्कान अच्छी लगती है।
जिग्रेश की बेरुखी और दोनों के बीच बह रहे भावनाओं के ज्वार ने सारे बंधन तोड़ दिये। पूनम और हेतल एक-दूसरे के करीब आये और एक हो गए। पूनम को हेतल के प्यार ने पूरा कर दिया था, वहीं हेतल पूनम के साथ एक अघोषित बंधन में बंध गया था। अब ये प्यार का क्रम शुरू हो गया। वो दोनों रोज मिलते और प्यार में खो जाते।
ये बात कब तक छुपती अतत: ये बात सामने आ ही गई। जिग्रेश ने भारी हंगामा किया। पूनम माइके चली गई और फिर अमेरिका जहां उसके पिता की कंपनी की ब्रांच थी। हेतल अहमदाबाद चला गया। जिग्रेश वहीं रह गया। उसने शिल्पी को प्रपोज किया तो उसने मना कर दिया। इस तरह तीन जिंदगियां बर्बाद हुईं जिग्रेश, पूनम और हेतल की। दोष की बात पर बहुत विवाद हो सकता है पर क्या पूनम का हेतल की ओर झुकाव गलत था। नहीं , बिल्कुल नहीं वो गलत नहीं थी। क्या हेतल गलत था, हेतल का पूनम के प्रति प्यार गलत था या जिग्रेश का पूनम से दूर होना और शिल्पी की ओर बढऩा गलत था। जाहिरा तौर पर जिग्रेश का पूनम के प्रति व्यवहार गलत था, आदमी का दूसरी औरत के प्रति आकर्षण वो भी शादी के बाद यानी पोस्ट मैरिटल लव यदि समाज में जायज है तो औरतों का पोस्ट मैरिटल लव में खो जाना कहां तक गलत है । हालांकि, कई बार उल्टा देखने को मिलता है जहां पत्नी की बेरुखी से तंग आकर पति दूसरी स्त्री की ओर आकर्षित हो जाता है। हो भले ही कुछ भी पर जीवन दांव पर लगता है। बच्चों का उनके भविष्य का । कभी-कभी आत्महत्या और हत्या जैसे जघन्य अपराध भी इस कारण हो जाते हैं आज कल तो ये बहुत अधिक देखने में आता है। इंदौर में ही कई अपराध हो चुके है।
इसका सिर्फ और सिर्फ एक उपाय है और वो है पति-पत्नि एक दूसरे को समझें और भावनों को बांटने के साथ ही दोस्तों की तरह जीवन को शेयर कर के जिये। रिश्ते को बोझ बनाने या कुछ जरूरतों तक सीमित करने से सिर्फ अपराध बढेंंग़े और दांव पर लगते रहेंगे जीवन। अभी स्वतंत्र रूप से की गई एक रिसर्च में ये बात पता चली है कि ज्यादातर विवाहोपरांत प्रेम संबंध अगर वो विवाह के पूर्व से किसी भी तरह संबद्ध न हो, तो आपसी समझ के न होने के चलते पनपते हैं। एक-दूसरे के प्रति रूखा पन पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर ही नहीं करता बल्कि वो उनको विवाहेत्तर संबंधों के लिए प्रेरित भी करता है। ऐसे में यदि दंपति के बच्चों हो चुके हों तो वो मानसिक रूप से सामान्य बच्चों की तरह स्वयं को ढाल नहीं पाते और जीवन की दौड़ पिछड़ जाते है। कई मानसिक रोग भी इन्हे घेर लेते हैं। पोस्ट मेरिटल लव केसेज में एक भयानक अंजाम मौत भी होती है। पति-पत्नी में से कोई बेवफाई से तंग आकर दूसरे की हत्या कर देता है, ऐसा पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलता है, या वो प्रेमी अथवा प्रेमिका के साथ मिलकर अपने पति या पत्नी की हत्या कर देता है या फिर स्वयं ही आत्महत्या कर लेता है। कई बार बच्चों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
शराबी पति की पिटाई, दूसरे की ओर आकर्षण, दहेज या रुपये को लेकर प्रताडऩा सहित कई ऐसे मामले हैं जिनमें पारिवारिक तनाव व्यप्त हो जाता है साथ ही पोस्ट मेरिटल लव-अफेयर्स के लिए दरवाजे खुल जाते हैं।
अगर समय पर भूल सुधार ली जाए, जिसकी संभावना कम ही है, तो कई जिंदगियों को तबाह होने से रोका जा सकता है जिनमें कई जिंदगियां तो ऐसी होती हैं जिनने जीवन पूरी तरह देखा ही नहीं होता है या अपने जीवन की सांस भी खुलकर नहीं ली होती है। आपसी समझदारी और एक दूसरे को समझने से जहां पति-पत्नी का जीवन सुखी हो सकता है वहीं उनके समेत कई जिंदगियां तबाह होने से बच सकती हैं।
पूनम शाह को उसकी सास कांता बेन ने गरबे में देखा था। सुंदर सुशील पूनम को देख कांता बेन ने अपने बड़े लड़के जिग्रेश का विवाह उससे करवा दिया। पूनम ससुराल में आई। चौडिय़ा परिवार की वो बड़ी बहू थी। चौडिय़ा परिवार एक संयुक्त परिवार था। पूनम के ससुर डालचंद और उनके भाई सुरेश भाई का परिवार एक ही छत के नीचे रहता था। पूनम के परिवार में उसका पति जिग्रेश और ननद तृप्ति थी। उसके चाचा ससुरके परिवार में उसकी दो ननदें शिखा और निशा के साथ ही एक देवर था हेतल। शादी के बाद पूनम ने देखा कि जिग्रेश का रुझान उसकी ओर नहीं था। उसका रुझान उसकी बहन शिल्पी की ओर था, जिसे वो रोज ही कॉलेज झोडऩे पहुच जाता था चूंकी शिल्पी का कॉलेज जिग्रेश के ऑफिस के पास ही था। वो किसी से कुछ न बोली पर मन ही मन घुटने लगी। इसी घुटन में हेतल जो उसकी उम्र का था ताजी हवा के झोंके की तरह आया। वो अक्सर उसका ध्यान बंटाने के लिए उससे मजाक करता था। एक दिन वो उससे ये बोल ही गया कि तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट बहुत अच्छी लगती है और इसके लिए मैं कोई भी कीमत चुका सकता हूं। तुम्हारे पाव की पायल और चूडिय़ों की छनक इतनी मधुर है तो तुम्हारी सुंदरता तो स्वर्गीय हुई। कहीं तुम कोई अप्सरा या परी तो नहीं?
पूनम बात को देवर का मजाक समझ टाल देती। एक दिन पूनम का हाथ सब्जी काटते-काटते कट गया। परिवार में किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया। शाम को पूनम ने ये बात जिग्रेश से कही तो वो लापरवाही में बोला, ऐसा अक्सर हो जाता है। फिर वो दोस्तों के साथ शहर के बाहर स्थित अपने फार्म हाउस पर चला गया। पूनम अपने कमरे में बैठी अकेले रो रही थी। पूरा परिवार हॉल में था। इतने में हेतल वहां से निकला। पूनम को रोता देख वो पास आया जख्म देखकर वो दवाई लेने कमरे में गया। दवाई लाया और पूनम की मल्हम पट्टी की। पूनम की आंखों में आंसू देख वो बोला, तुम्हारी आंखों में आंसू अच्छे नहीं लगते। होंठो पर मुस्कान अच्छी लगती है।
जिग्रेश की बेरुखी और दोनों के बीच बह रहे भावनाओं के ज्वार ने सारे बंधन तोड़ दिये। पूनम और हेतल एक-दूसरे के करीब आये और एक हो गए। पूनम को हेतल के प्यार ने पूरा कर दिया था, वहीं हेतल पूनम के साथ एक अघोषित बंधन में बंध गया था। अब ये प्यार का क्रम शुरू हो गया। वो दोनों रोज मिलते और प्यार में खो जाते।
ये बात कब तक छुपती अतत: ये बात सामने आ ही गई। जिग्रेश ने भारी हंगामा किया। पूनम माइके चली गई और फिर अमेरिका जहां उसके पिता की कंपनी की ब्रांच थी। हेतल अहमदाबाद चला गया। जिग्रेश वहीं रह गया। उसने शिल्पी को प्रपोज किया तो उसने मना कर दिया। इस तरह तीन जिंदगियां बर्बाद हुईं जिग्रेश, पूनम और हेतल की। दोष की बात पर बहुत विवाद हो सकता है पर क्या पूनम का हेतल की ओर झुकाव गलत था। नहीं , बिल्कुल नहीं वो गलत नहीं थी। क्या हेतल गलत था, हेतल का पूनम के प्रति प्यार गलत था या जिग्रेश का पूनम से दूर होना और शिल्पी की ओर बढऩा गलत था। जाहिरा तौर पर जिग्रेश का पूनम के प्रति व्यवहार गलत था, आदमी का दूसरी औरत के प्रति आकर्षण वो भी शादी के बाद यानी पोस्ट मैरिटल लव यदि समाज में जायज है तो औरतों का पोस्ट मैरिटल लव में खो जाना कहां तक गलत है । हालांकि, कई बार उल्टा देखने को मिलता है जहां पत्नी की बेरुखी से तंग आकर पति दूसरी स्त्री की ओर आकर्षित हो जाता है। हो भले ही कुछ भी पर जीवन दांव पर लगता है। बच्चों का उनके भविष्य का । कभी-कभी आत्महत्या और हत्या जैसे जघन्य अपराध भी इस कारण हो जाते हैं आज कल तो ये बहुत अधिक देखने में आता है। इंदौर में ही कई अपराध हो चुके है।
इसका सिर्फ और सिर्फ एक उपाय है और वो है पति-पत्नि एक दूसरे को समझें और भावनों को बांटने के साथ ही दोस्तों की तरह जीवन को शेयर कर के जिये। रिश्ते को बोझ बनाने या कुछ जरूरतों तक सीमित करने से सिर्फ अपराध बढेंंग़े और दांव पर लगते रहेंगे जीवन। अभी स्वतंत्र रूप से की गई एक रिसर्च में ये बात पता चली है कि ज्यादातर विवाहोपरांत प्रेम संबंध अगर वो विवाह के पूर्व से किसी भी तरह संबद्ध न हो, तो आपसी समझ के न होने के चलते पनपते हैं। एक-दूसरे के प्रति रूखा पन पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर ही नहीं करता बल्कि वो उनको विवाहेत्तर संबंधों के लिए प्रेरित भी करता है। ऐसे में यदि दंपति के बच्चों हो चुके हों तो वो मानसिक रूप से सामान्य बच्चों की तरह स्वयं को ढाल नहीं पाते और जीवन की दौड़ पिछड़ जाते है। कई मानसिक रोग भी इन्हे घेर लेते हैं। पोस्ट मेरिटल लव केसेज में एक भयानक अंजाम मौत भी होती है। पति-पत्नी में से कोई बेवफाई से तंग आकर दूसरे की हत्या कर देता है, ऐसा पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलता है, या वो प्रेमी अथवा प्रेमिका के साथ मिलकर अपने पति या पत्नी की हत्या कर देता है या फिर स्वयं ही आत्महत्या कर लेता है। कई बार बच्चों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
शराबी पति की पिटाई, दूसरे की ओर आकर्षण, दहेज या रुपये को लेकर प्रताडऩा सहित कई ऐसे मामले हैं जिनमें पारिवारिक तनाव व्यप्त हो जाता है साथ ही पोस्ट मेरिटल लव-अफेयर्स के लिए दरवाजे खुल जाते हैं।
अगर समय पर भूल सुधार ली जाए, जिसकी संभावना कम ही है, तो कई जिंदगियों को तबाह होने से रोका जा सकता है जिनमें कई जिंदगियां तो ऐसी होती हैं जिनने जीवन पूरी तरह देखा ही नहीं होता है या अपने जीवन की सांस भी खुलकर नहीं ली होती है। आपसी समझदारी और एक दूसरे को समझने से जहां पति-पत्नी का जीवन सुखी हो सकता है वहीं उनके समेत कई जिंदगियां तबाह होने से बच सकती हैं।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments