(ये कहानी एक लाक्षणिक कहानी है। इस कहानी में घर-आदमी-कुत्ता और छोटा सा लड़की का पात्र जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शित करते हैं। इस कहानी को एक वरिष्ठ साहित्यकार ने अद्वितीय कहा था। उनका नाम उनकी इच्छा से गुप्त रखा गया है। पेश है ये कहानी)-
एक घर था, एक आदमी था और एक था उसका कुत्ता। आदमी जब घर के बाहर होता तो घर उदास हो जाता, पर ये बात उस आदमी को मालूम नहीं थी। वो अपने कुत्ते के साथ दूर-दूर जाता जानवरों का शिकार करता। उनको शाम के वक्त घर लाता भूनता-खाता, अपने कुत्ते को खिलाता और सो जाता। दूसरे दिन वो अपने काम पर चला जाता।
एक रात घर उदास था, मालिक सो गया था और कुत्ता मांस के छिछड़ों और बोटियों को नोच रहा था। घर ने कहा- मुझसा अकेला कोई नहीं। जब मालिक छोटा था तब मैं चहका करता था। इसकी मां और इसका पिता दिन तो क्या रातों में भी जागते और मुझे सोने न देते। मैं उस वक्त ज्यादा खुश था। कुत्ता बोला- चुप रहो। मालिक को सोने दो। तुम्हारे दिन लद गए। अब मेरे दिन हैं। मालिक मुझे प्यार करता है और ये काफी है मेरे लिए। घर हंसा- अरे नादान मालिक किसी का नहीं। वो तो अपने लिए ही जीता है देखना एक दिन तेरे लाड़ भी खत्म हो जाएंगे। कुत्ता बोला- अपनी मनहूस जबान बंद कर।
रात बीत गई जैसे हमेशा बीत जाती है। दूसरे दिन मालिक चला गया। शाम को जब वो लौटा तो एक खूबसूरत लड़की उसके साथ थी। उसने मांस पकाया और सबसे पहले लड़की को दिया, कुत्ता ये देख रहा था। फिर उसने उसे शराब पिलाई, कुत्ता ये देख रहा था। फिर दोनों कमरे में चले गए। जाने से पहले मालिक ने जूठन कुत्ते के सामने डाल दी और चला गया। कुत्ते ने बेचारगी से यहां-वहां देखा। घर हंसने लगा। कुत्ते को ये बात बुरी लगी- हंसते क्यों हो? तुम मजबूर हो मैं नहीं। इतना कहकर कुत्ता जूठन छोड़कर भाग गया। वो भागता गया। भागता गया। अब वो जहां है वहां सुखी है या नहीं पता नहीं पर उस रात मालिक के घर में चोरी हो गई। चोर कीमती सामान ले गए। दूसरे दिन मालिक और लड़की में लड़ाई हो गई। वो उसे छोड़कर चली गई। अब मालिक महीनों घर के बाहर रहता है। घर अब भी है और शायद उदास भी है।
(ये कहानी एक लाक्षणिक कहानी है। इस कहानी में घर-आदमी-कुत्ता और छोटा सा लड़की का पात्र जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शित करते हैं। इस कहानी को एक वरिष्ठ साहित्यकार ने अद्वितीय कहा था। उनका नाम उनकी इच्छा से गुप्त रखा गया है। पेश है ये कहानी)-
एक घर था, एक आदमी था और एक था उसका कुत्ता। आदमी जब घर के बाहर होता तो घर उदास हो जाता, पर ये बात उस आदमी को मालूम नहीं थी। वो अपने कुत्ते के साथ दूर-दूर जाता जानवरों का शिकार करता। उनको शाम के वक्त घर लाता भूनता-खाता, अपने कुत्ते को खिलाता और सो जाता। दूसरे दिन वो अपने काम पर चला जाता।
एक रात घर उदास था, मालिक सो गया था और कुत्ता मांस के छिछड़ों और बोटियों को नोच रहा था। घर ने कहा- मुझसा अकेला कोई नहीं। जब मालिक छोटा था तब मैं चहका करता था। इसकी मां और इसका पिता दिन तो क्या रातों में भी जागते और मुझे सोने न देते। मैं उस वक्त ज्यादा खुश था। कुत्ता बोला- चुप रहो। मालिक को सोने दो। तुम्हारे दिन लद गए। अब मेरे दिन हैं। मालिक मुझे प्यार करता है और ये काफी है मेरे लिए। घर हंसा- अरे नादान मालिक किसी का नहीं। वो तो अपने लिए ही जीता है देखना एक दिन तेरे लाड़ भी खत्म हो जाएंगे। कुत्ता बोला- अपनी मनहूस जबान बंद कर।
रात बीत गई जैसे हमेशा बीत जाती है। दूसरे दिन मालिक चला गया। शाम को जब वो लौटा तो एक खूबसूरत लड़की उसके साथ थी। उसने मांस पकाया और सबसे पहले लड़की को दिया, कुत्ता ये देख रहा था। फिर उसने उसे शराब पिलाई, कुत्ता ये देख रहा था। फिर दोनों कमरे में चले गए। जाने से पहले मालिक ने जूठन कुत्ते के सामने डाल दी और चला गया। कुत्ते ने बेचारगी से यहां-वहां देखा। घर हंसने लगा। कुत्ते को ये बात बुरी लगी- हंसते क्यों हो? तुम मजबूर हो मैं नहीं। इतना कहकर कुत्ता जूठन छोड़कर भाग गया। वो भागता गया। भागता गया। अब वो जहां है वहां सुखी है या नहीं पता नहीं पर उस रात मालिक के घर में चोरी हो गई। चोर कीमती सामान ले गए। दूसरे दिन मालिक और लड़की में लड़ाई हो गई। वो उसे छोड़कर चली गई। अब मालिक महीनों घर के बाहर रहता है। घर अब भी है और शायद उदास भी है।
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