आकाश मार्ग से देवयानों को अपने पिता दक्ष के महायज्ञ में जाते हुए देखकर सति का मन व्यथित हो गया। वो भी यज्ञ में जाना चाहती थी पर भगवान शिव से स्वयं ही वैर रखने वाले दक्ष ने उनको यानी अपने ही जामाता को नीचा दिखाने के लिए उनको और अपनी बेटी सति को यज्ञ में नहीं आमंत्रित किया था।
सति शिव के पास पहुंची। स्वामी यज्ञ में नहीं जाएंगे क्या? शिव ने मुंह फेर लिया और मौन रहे। देवी सति ने दो बार पूछा। शिव मुंह फेरकर मौन बैठे रहे। तीसरी बार देवी सति कीआवाज भारी और भयंकर थी- आपकी आज्ञा हो तो यज्ञ में जाऊं अन्यथा पूरे यज्ञ का विध्वंस कर दूं। शिव ने फौरन सति की ओर देखा वहां उग्र दक्षिणकालिका को देखकर वो भयभीत हो गए और वहां से भागे। देवी ने उन्हें भागते देखा तो हर दिशा में अपने स्वरूप को शिव को रोकने के लिए भेजा। शिव दसों दिशाओं में दौड़े और देवी सति के हर रूप ने उन्हें वहां रोका। अंत में शिव कैलाश पर वापस लौट आए और न चाहते हुए भी उन्होंने माता सति को यज्ञ में जाने की आज्ञा दे दी।
आकाश मार्ग से देवयानों को अपने पिता दक्ष के महायज्ञ में जाते हुए देखकर सति का मन व्यथित हो गया। वो भी यज्ञ में जाना चाहती थी पर भगवान शिव से स्वयं ही वैर रखने वाले दक्ष ने उनको यानी अपने ही जामाता को नीचा दिखाने के लिए उनको और अपनी बेटी सति को यज्ञ में नहीं आमंत्रित किया था।
सति शिव के पास पहुंची। स्वामी यज्ञ में नहीं जाएंगे क्या? शिव ने मुंह फेर लिया और मौन रहे। देवी सति ने दो बार पूछा। शिव मुंह फेरकर मौन बैठे रहे। तीसरी बार देवी सति कीआवाज भारी और भयंकर थी- आपकी आज्ञा हो तो यज्ञ में जाऊं अन्यथा पूरे यज्ञ का विध्वंस कर दूं। शिव ने फौरन सति की ओर देखा वहां उग्र दक्षिणकालिका को देखकर वो भयभीत हो गए और वहां से भागे। देवी ने उन्हें भागते देखा तो हर दिशा में अपने स्वरूप को शिव को रोकने के लिए भेजा। शिव दसों दिशाओं में दौड़े और देवी सति के हर रूप ने उन्हें वहां रोका। अंत में शिव कैलाश पर वापस लौट आए और न चाहते हुए भी उन्होंने माता सति को यज्ञ में जाने की आज्ञा दे दी।
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